१०१ बीमारियां, योग और प्राकृतिक चिकित्सा

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एक अंग्रेजी कहावत है ‘शस्त्रक्रिया सफल रही लेकिन मरीज़ मर गया।’ इसी प्रकार आज के वैज्ञानिक युग में अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हो रहे हैं, तथा उपचार की अनगिनत विधियां विकसित हो गई हैं, परन्तु हमारे प्राचीन योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति हमारी गंभीर उपेक्षा के कारण नई-नई बीमारियां हमें परेशान कर रही हैं। युद्ध क्षेत्र के विशेषज्ञों का अनुमान है कि भविष्य में वायरल युद्ध, हथियार युद्धों की तुलना में अधिक व्यापक होंगे। कोविड-19 महामारी के दौरान हमें इसकी नजदीक से झलक देखने को मिली।

जब मन और शरीर स्वस्थ और मजबूत होंगे केवल तभी हम दीर्घायु का आनंद ले सकते हैं। इसके लिए योग चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा आवश्यक है। हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को उत्साह के साथ मनाए जाने के कारण इस मुद्दे पर जन जागरूकता भी बढ़ रही है। बाबा रामदेव जैसे महान लोगों ने पूरे विश्व में योग का प्रचार किया। इस अवसर पर महर्षि पतंजलि का नाम नई पीढ़ी को ज्ञात हुआ।

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पुस्तकाबद्दल

प्रस्तुत पुस्तक में  संगमनेर के योग साधक प्रो. डॉ. राजेंद्र वामन ने वैज्ञानिक रूप से यह स्पष्ट किया है कि किस प्रकार योग और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग १०१ बीमारियों के उपचार में किया जा सकता है। यदि हम इन सभी को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें तो इससे कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हो जाएगा। यदि आप इसे विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में क्रियान्वित करेंगे तो यह आपके लिए लाभदायक होगा। पुराने दिनों में हर घर में दादी-नानी का बटुआ हुआ करता था। ठीक वैसे ही जैसे डॉ. राजेंद्र वामन द्वारा लिखित यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जागरूकता पुस्तक हर किसी के संग्रह में होनी चाहिए।

घनश्याम पाटील

अधिक माहिती

लेखक

डॉ. राजेंद्र वामन

अनुवाद

ज्योती घनश्याम

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264

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